दिल्ली में जुटे देशभर के बहुजन यूट्यूबर्स का क्या रहा मकसद
दिल्ली में बीते शनिवार और रविवार को बहुजन यूट्यूबर्स सम्मेलन का आयोजन किया गया. यहां के हिंदु कॉलेज में सौ से अधिक बहुजन यूट्यूर्स मौजूद हुए. इस आयोजन में आये यूट्यबर्स का कहना है कि मुख्यधारा का मीडिया बहुजनों की बात नहीं करता है. अब पत्रकारिता के वैकल्पिक मंच खड़ा करने की जरूरत है.
वहीं इसआयोजन का मकसद स्किल डेवलपमेंट बताया गया. सम्मेलन में आये वरिष्ठ पत्रकार प्रोफेसर दिलीप मंडल ने अपने संबोधन में कहा बहुजन मीडिया भारतीय लोकतंत्र को मज़बूत करने का आंदोलन है.
हालांकि इससे पूर्व में बहुजन यूट्यर्स द्वारा ऑनलाइन सम्मेलन किया जा चुका है और यह तीसरा आयोजन है जब देशभर के यूट्यूर्स यहां इकट्ठा हुए हैं.
कार्यक्रम के आयोजक और न्यूजबीक के संपादक सुमित चौहान का कहना है कि ऐसे आयोजन से बहुजन मीडिया में आपसी मेलजोल, एकदूसरे को समझने, और खबरों व जानकारियों को लेकर तालमेल बैठाने में मदद मिलेगी.
उनका कहना है कि देश में बड़ी संख्या में यूट्यूबर हैं जिन्होंने मीडिया की प्रोफेशनल ट्रेनिंग नहीं ली है. इस आयोजन के दौरान मीडिया ट्रेनिंग और वर्कशॉप कार्यक्रमों की मदद से उनके हुनर को निखारने की कोशिश की गयी है.
इससे वे पत्रकारिता का बुनयादी पहलू सीख सकें हैं. पत्रकारिता में शामिल जरूरी जानकारियां जैसे रिपोर्टिंग, कैमरा, एंकरिंग, लाइटिंग, वीडियो एडिटिंग, फैक्ट चेक और एनिमेशन की ट्रेनिंग जरूरी है ताकि वे अपने बेहतर कामों को लोगों के सामने ला सकें.
बहुजन यूट्यूबर्स सम्मेलन की जरूरत के संबंध में सुमित का मानना है कि मुख्यधारा का मीडिया बहजन समाज की बात नहीं करता. इसलिए इसे खुद का मीडिया तैयार करना जरूरी है.
एक रिपोर्ट के मुताबिक मीडिया में शीर्ष पदों पर एससी—एसटी समुदाय के लोग नहीं है. और यदि हैं भी तो उनकी संख्या नगण्य है. आॅक्सफैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक हिंदी और अंग्रेजी भाषा के अखबारों के लिए लिखने वाले अधिकतर सामान्य वर्ग से तालुक्क रखते हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक महज पांच प्रतिशत लेख आदिवासी या दलित समुदाय से संबंध रखने वाले लेखकों के प्रकाशित किये जाते हैं.
यहां आये कई यूट्यूबरर्स मानते हैं कि मुद्दों की समझ बढ़ाने के साथ तकनीकी ज्ञान अर्जित करने का यह एक अच्छा प्लेटफॉर्म है.
कई लोगों का कहना है कि वे स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता करना चाहते हैं और अपनी इच्छा के अनुसार रिपोर्टिंग की विषय वस्तु चुनना चाहते हैं. उनकी पत्रकारिता पर ना तो किसी संपादक का दबाव हो और ना ही वे किसी मुख्यधारा मीडिया पर निर्भरता.