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पत्रकार और जज अपनी आजादी खो दें तो लोकतंत्र खतरे में: जस्टिस श्रीकृष्णा

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रहे जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा ने कार्यक्रम में दी राय

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा ने कहा है कि एक जज और एक पत्रकार को अनिवार्य रूप से स्वतंत्र होना चाहिए. अगर वे लड़खड़ाते हैं तो पूरा लोकतंत्र हिल जाता है. यह कह कर पूर्व न्यायाधीश ने देश में लोकतंत्र की नींव को मजबूत रखने के लिए पत्रकारों की स्वतंत्रता और उनकी सुरक्षा का आह्वान किया है.

रेडइंक पुरस्कार वितरण के दौरान उन्होंने ये बातें कहीं. उन्होंने कहा है कि दो पेशों को अनिवार्य रूप से स्वतंत्र होना चाहिए. एक न्यायाधीश और एक पत्रकार. अगर एक पत्रकार जो अपनी आजादी खो देता है, उतना ही बुरा है जितना एक जज जिसने अपनी आजादी खो दी है.

कहा कि पत्रकार को चौथा स्तंभ कहा जाता है. पत्रकार का काम होता है कि सच बोले. उसका काम तथ्यों को जनता के सामने लाना है. अपने संबोधन में पत्रकारों से कहा कि अपने पेशे के प्रति ईमानदार रहें. अपने विवेक से काम लें. अपनी अंतरात्मा को सुनें.

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस बीएन श्रीकृष्णा 1992-93 के मुंबई दंगों के कारणों की जांच करने वाले आयोग के अध्यक्ष रहे हैं.

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