आखिर क्यों श्वेता कोठारी को आइआइएमसी में कक्षा लेने से रोका गया
जामिया मिल्लिया इसलामिया स्थित एजेके मास कॉम्यूनिकेशन रिसर्च सेंटर की विजिटिंग प्रोफेसर श्वेता कोठारी को आइआइएमसी द्वारा पठन—पाठन के लिए आमंत्रित किया गया था. लेकिन इसे तुरंत स्थगित कर दिया गया. श्वेता कोठारी की कक्षा रद्द कर दी गयी और उन्हें इसके लिए मना कर दिया गया. इस घटना के बाद मीडिया में इसकी जमकर चर्चा हो रही है. अब इस मामले की सूचना आइआइएमसी के महानिदेशक को दी गयी है. आइआइएमसी यानि भारतीय जनसंचार संस्थान देश का प्रमुख मीडिया कोर्स कराने वाला संस्थान है. लेकिन अब इस संस्थान पर भगवाकरण के आरोप लग रहे हैं.
बता दें कि हाल में श्वेता कोठारी ने ट्वीट कर बताया था कि वह आइआइएमसी दिल्ली में पढ़ायेंगी. इस दौरान उन्हें जर्नलिज्म के छात्रों को विभिन्न पाठ्यक्रम के तहत मीडिया की भूमिका, नैतिकता और जिम्मेदारियां आदि पढ़ाने का मौका मिलेगा. लेकिन एक दूसरी ट्वीट कर जानकारी दी गयी कि उनकी अगली कक्षा को रद्द कर दिया गया.
श्वेता कोठारी मीडिया जगत की एक मशहुर हस्ती हैं. उन्हें कई टीवी चैनल्स में काम करने का अनुभव है तथा लॉजिकल इंडियन की मैनेजिंग एडिटर भी रह चुकी हैं. फिलहाल जामिया मिल्लिया इसलामिया में पत्रकारिता की विजिटिंग प्रोफेसर हैं.
श्वेता कोठारी के मुताबिक कोर्स के निदेशक राकेश उपाध्याय द्वारा आइआइएमसी के लगभग 50 छात्रों के सामने उनके फेसबुक और ट्वीटर पोस्ट के लिए शर्मिंदा किया गया. प्रोफेसर उपाध्याय पर आरोप है कि हिंदी पत्रकारिता के छात्रों को उनका ट्वीट दिखाते हुए कहा गया कि वह नैतिकता के बारे में कुछ भी नहीं जानती हैं. उपाध्याय ने कहा कि वह सरकारी संस्थान में पढ़ाने के लिए वेतन सरकार से मिलेगा. ऐसे लोग सरकार या प्रधानमंत्री के खिलाफ कैसे लिख सकते है.
श्वेता ने ट्वीट कर कहा है कि संस्थान के छात्रों को यह बताया जा रहा है कि सरकार और धार्मिक मुद्दों आदि विषयों पर किसी प्रकार का ट्वीट नहीं करना है. उपाध्याय छात्रों को यह बताते हैं कि इससे उन्हें नुकसान पहुंच सकता है. इसको समझाने के लिए उनके ट्वीट को उदारहरण के तौर पर कक्षा के सामने दिखाया गया और कहा कि मीडिया कंपनियां कैंपस सेलेक्शन में उस छात्र—छात्राओं का सोशल मीडिया जैसे ट्वीटर और फेसबुक की जांच करती हैं.