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राष्ट्रीय युवा दिवस विशेष: विश्व धर्म सभा में पत्रकार ने स्वामी का उड़ाया मजाक तो यह मिला जवाब

स्वामी विवेकानंद के सवालों के बाद हुआ पत्रकार को हुआ पछतावा, आंखों में आ गये थे आंसू

12 जनवरी, 1863 को कोलकाता में नरेंद्र नाथ का जन्म हुआ था. नरेंद्र नाथ आगे चलकर स्वामी विवेकानंद के नाम से मशहूर हुए. उनकी जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है. विवेकानंद की चर्चा में अमेरिका के शिकागों की धर्म संसद का जिक्र जरूर होता है. स्वामी विवेकानंद द्वारा प्रारंभ किये गये विश्व धर्म महासभा के नाम से कई सभाएं हुईं लेकिन शिकागों में आयोजित विश्व धर्म सभा सबसे उल्लेखनीय है.

विश्व धर्म सभा को लेकर अंग्रेज स्वामी विवेकानंद का मजाक उड़ाते थे. शिकागों में हुए विश्व धर्म सभा में एक पत्रकार ने स्वामी विवेकानंद का मजाक उड़ाते हुए पूछा कि कांटेक्ट और कनेक्शन से उनका क्या तात्पर्य है. आखिर यह है क्या और यह उलझा हुआ है.

इस सवाल पर स्वामी विवेकानंद मुस्कुराये. उन्होंने पत्रकार से सवाल किया कि क्या वह न्यूयॉर्क से हैं? इस पर पत्रकार ने हामी भरी और बताया कि वे न्यूयॉर्क से तालुक्क रखते हैं. स्वामी ने फिर से सवाल किये. उन्होंने पत्रकार के परिवार के बारे में पूछा. पत्रकार ने बताया कि उसकी मां की मृत्यु हो चुकी है. घर में पिता और तीन भाई और एक बहन हैं. और सभी विवाहित हैं.

विवेकानंद जी ने फिर सवाल किया और पत्रकार से पूछा कि क्या वह अपने पिता से बात करते हैं? पत्रकार अब उनके सवालों से नाराज होने लगा था. स्वामी जी ने ​फिर से एक प्रश्न किया और पूछा कि उस पत्रकार कि अपने पिता से अंतिम बार कब बात हुई थी.
पत्रकार ने अपनी नाराजगी और गुस्सा को दबाते हुए जवाब दिया—लगभग एक माह पहले.

विवेकानंदजी ने पूछा कि क्या वह अपने भाई और बहन अक्सर मिलते हैं? पूछा कि उस पत्रकार ने अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ आखिरी बार कब भेंट मुलाकात की थी. इन सवालों से वह पत्रकार काफी परेशान होने लगा था. उसके माथे पर पसीना दिखाई देने लगा.

पत्रकार ने स्वामी के सामने अफसोस जाहिर करते हुए बताया कि दो साल पूर्व क्रिसमस पर उनका पूरा परिवार एक दूसरे से मिला था. स्वामी ​जी ने जवाब सुनते ही प्रश्न किया—आप सभी कितने दिन एक साथ रहते थे? पत्रकार ने जवाब दिया-तीन दिन. स्वामी जी ने फिर से सवाल किया कि अपने पिता के पास बैठे उसे कितना वक्त हुआ है.

पत्रकार अब परेशान तो था ही, शर्मिंदा भी होने लगा था. उसने एक सादा पेपर पर कुछ लिखा. पुन: स्वामी जी ने सवाल किया कि क्या उस पत्रकार ने अपने पिता के साथ नाश्ता, दोपहर का भोजन या रात का खाना खाया था? क्या उसने कभी पूछा कि वो कैसे हैं, मां की मृत्यु के बाद उनके दिन कैसे गुज़र रहे हैं?

स्वामी विवेकानंद की बातें सुन पत्रकार रोने लगा. स्वामी विवेकानंद ने पत्रकार को अपने समीप किया और कहा कि इस बात के लिए शर्मिंदा होने की जरूरत नहीं है. उन्होंने पत्रकार से कहा कि उन्हें इस बात का दुख है कि कुछ सवालों से उसे अनजाने में आघात हुआ हो. लेकिन मूल रूप से कांटैक्ट और कनेक्शन का उत्तर यही है.

स्वामी विवेकानंद ने उस पत्रकार को बताया कि उसका अपने पिता के साथ कांटेक्ट तो है, लेकिन कनेक्शन नहीं है. वह अपने पिता से जुड़ा हुआ नहीं है. उस पत्रकार को बताया कि उसका अपने भाई-बहनों के साथ भी सिर्फ कांटेक्ट है, लेकिन कनेक्शन नहीं.

पत्रकार को अपनी गलती का एहसास हो चुका था. उसने अपने आंसू पोछें और स्वामी विवेकानंद को ना भूलने वाली सबक सिखाने के लिए धन्यवाद दिया.

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