केंद्र सरकार के इस संशोधन की एडिटर्स गिल्ड ने की आलोचना, दी यह सलाह
केंद्र सरकार द्वारा फेक न्यूज को लेकर कंटेट प्रसारण संबंधी कानून में नये संशोधन की आलोचना की जा रही है. मीडिया संस्थानों ने इसे प्रेस की आजादी पर बंदिश करार दिया है.
वरिष्ठ पत्रकार तथा एक मीडिया संस्थान में मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खंडेकर ने अपने ट्वीटर हैडल से इस संशोधन की आलोचना करते हुए ट्वीट किया है जिसमें कहा है कि इस प्रकार के संशोधन से मीडिया पर हमला होगा.
उन्होंने लिखा है… सरकार कहेगी वही फेक न्यूज़. केंद्र सरकार ने प्रस्ताव रखा है कि PIB किसी ख़बर को फेक न्यूज़ कह देती है तो सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म को वो ख़बर हटाना पड़ेगी. एडिटर्स गिल्ड ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है. ये सेंसरशिप होगी. प्रेस की आज़ादी का गला घोंटने का एक हथियार बन सकता है.
इस संशोधन के संंबंध में एडिटर्स गिल्ड द्वारा एक प्रेस स्टेटमेंट जारी किया गया है. इसमें कहा गया है कि एडिटर्स गिल्ड इलेक्ट्रॉनिक्स तथा आईटी मंत्रालय द्वारा इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी रुल्स 2021 के ड्राफ्ट में बदलाव को लेकर गंभीर है.
इस बदलाव से प्रेस इंफॉर्मेश ब्यूरो को यह अधिकार हो जाता है कि कि वह न्यूज रिपोर्ट्स, या ऐसी कोई भी कंटेंट जिसे फेक बता सकती है और उसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटा देना होगा. मंत्रालय द्वारा यह संशोधन मंत्रालय की वेबसाइट पर इस वर्ष 17 जनवरी को अपलोड किया गया.
इस संशोधन का जवाब देते हुए एडिटर्स गिल्ड ने कहा है कि सरकार द्वारा अकेले किसी भी न्यूज को फेक करार नहीं दिया जा सकता है. यह प्रेस की आजादी को खत्म करता है. पूर्व में ऐसे कंटेट जो तथ्यात्मक रूप से गलत हैं, उनके लिए कई कानून बनाये गये हैं.
इस नये कानून से प्रेस की आजादी को कुचलने की कोशिश की गयी है और इस प्रकार के नियमों से कंटेंट प्रसारण के सारे अधिकार प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो या सरकार के अधीन किसी अन्य संस्था को चला जायेगा जो सरकार के लिए फैक्ट चेकिंग का काम करता है. इस संशोधन से जिस कंटेंट से सरकार को समस्या होगी उसे बलपूर्वक हटा दिये जाने का काम किया जायेगा.
एडिटर्स गिल्ड ने अपने प्रेस स्टेटमेंट में कहा है कि मंत्रालय से यह कहा है कि इस संशोधन को हटाया जाये तथा प्रेस तथा मीडिया संस्थाओं व अन्य स्टेकहोल्डर्रस के साथ मिल कर डिजिटल मीडिया के लिए आवश्यक कानून बनाये जाये.