एक इंटरव्यू में लोकतंत्र की गर्दन पर मीठी छुरी चलने की कही बात
गोदी सेठ पर तंज करते हुए रवीश ने कहा कि बटुए में जितना भी पैसा हो, धरती खरीद लोगे क्या. भारत की जनता उन काली मर्सीडीज में चलने वाले लोगों की पहचान करें कि वे लोग लोकतंत्र के हत्यारे हैं. मेरा दुनिया में रहना या नहीं रहना उतना महत्वपूर्ण नहीं है लेकिन मैं अपनी जिंदगी में अपनी क्षमता, अपनी बुद्धि, अपनी हताशा, अपनी निराशा, अपनी उम्मीदें, अपनी महत्वकांक्षा या बहुत हौसला या बहुत अतिउत्साह में ये बात दर्ज करा कर जाना चाहता हूं कि बहुत सारे सफल लोग, मंहगी मंहली गाड़ियों में जो चमचमाते हुए आते हैं, भारत के लोकतंत्र की गर्दन पर सेब की तरह मीठी मीठी छुरी चला रहे हैं. यह बातें रवीश कुमार टीवी दुनिया के नामी चेहरा अजीत अंजुम द्वारा लिये गये इंटरव्यू में कह रहे थे.
एनडीटीवी छोड़ने के बाद पहली बार रवीश ने अपना इंटरव्यू दिया है. यह इंटरव्यू टीवी दुनिया के चर्चित चेहरा अजीत अंजुम ने लिया है. इसमें अजीत अंजुम ने रवीश कुमार से पूछा कि वह इन दिनों सुबह उठ कर क्या कर रहे हैं. इसके जवाब में रवीश ने बताया कि अब सुबह बिल्कूल अलग है. उन्होंने कहा है कि वे अपने दर्शकों को काफी याद कर रहे हैं. वह कहते हैं..सुबह उठता हूं तो लगता है कि वे कहां चले गये हैं. पता नहीं वे मेरे बिना क्या कर रहे होगे. उनके बिना मैं क्या कर रहा हूं. वह बताते हैं कि सुबह उठने के बाद उनकी अक्सर यह दिनचर्या होती थी कि उठते के साथ लैपटॉप पर लिखना शुरू कर देता था. उन दिनों कभी नींद पूरी नहीं हूई. दर्शकों से रोज राज में बात करने का सिलसिला टूट गया है. बात करने का अभ्यास खत्म हो चुका है.
वह कहते हैं …उन्हें ऐसा लगता है कि हवाई जहाज से कूदने के बाद पैराशूट को अचानक किसी गोदी सेठ ने काट दिया हो. अब मैं आसमान में नहीं हूं. जमीन पर भी नहीं हूं लेकिन हवा में तैर रहा हूं. कभी उदास होता हूं तो कभी आंसू भी छलक जाते हैं कि मेरे पास अब कोई काम नहीं है. और कभी गहरी नींद में सो जाता हूं. कभी आदत नहीं रही कि बिना काम के दिन कैसे गुजारे. यही अब इन दिनो सीख रहा हूं.
नौकरी से मिलने वाली आजादी पर पूछे गये एक सवाल पर उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद से इस अभ्यास की तैयारी में थे. इस बात का आभास था कि चीजें बदल रहीं हैं. इसलिए मैंने सबसे पहले खुद को दफ्तर से दूर कर लिया. सभी चीजों को छोड़ कर अकेले हो गया और पूरा ध्यान एनडीटीवी के प्रोग्राम को तैयार करने में लगा देता था. अडानी की एंट्री का पता चला तो काफी झटका लगा था.
अजीत अंजुम के इस सवाल पर कि अडानी की एनडीटीवी पर पूरा शिंकजा कसने से पहले ही उन्होंने विदा ले ली, इसपर रवीश कहते हैं छुरी एक बार में नहीं चलाई जाती है. बड़े लोग बहुत नफासत से छिल—छिल कर खाते हैं. अभी ऐसा ही हो रहा है. रवीश के इस इंटरव्यू को बड़ी संख्या में उनके चाहने वाले देख और शेयर कर रहे हैं.