जोधपुर में एक कार्यक्रम के बाद राजस्थान पत्रिका को दिये इंटरव्यू में रखी अपनी राय
देश में मीडिया की पढ़ाई के लिए सर्वोच्च संस्थान भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक प्रोफेसर डॉ संजय द्विवेदी ने कहा है कि सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र में गिरावट आयी है और पत्रकारिता भी इसका शिकार हुई है. सिर्फ पत्रकारिता में गिरावट आयी है ऐसा नहीं है. समाज में अच्छे मनुष्यों का निर्माण होगा तो सब तरफ अच्छे लोग आयेंगे. बच्चों में मूल्य देने का काम परिवार और स्कूलों में होता था. अब इसमें कमी आयी है. कहा कि हमें लोगों को नैतिक शिक्षा देनी होगी. लोगों को भारतीयता से जोड़ना होगा. मूल्यहीन व्यक्ति कही भी समाज का भल नहीं कर पायेगा.
यह बातें वह जोधपुर में आयोजित एक कार्यक्रम में शामिल होने के बाद राजस्थान पत्रिका द्वारा लिये गये एक विशेष इंटरव्यू के दौरान कही. उन्होंने अपने इस इंटरव्यू में कहा कि पत्रकारिता में भी टूल्स बदले हैं. टेक्नोलॉजी में बदलाव आया है. लेकिन इन सबके बावजूद सिद्धांत और मूल्यों में बदलाव नहीं होता है. सामाजिक सरोकारों के लिए काम करना, समाज के लिए खड़े होना, हाशिए पर खड़े व्यक्ति की मदद करना, जनमत निर्माण के लिए काम करना, लोगों के दुख—दर्द में काम करने जैसे सिद्धांत ही पत्रकारिता करना है.
प्रिंट और डिजिटल मीडिया की वर्तमान चुनौतियों पर अपनी राय रखते हुए कहा कि डिजिटल मीडिया का असर व्यापक तौर पर बढ़ा है. लेकिन विश्वसनीयता और प्रमाणिकता के मामले में प्रिंट मीडिया हमेशा आगे है. डिजिटल लोकप्रिय जरूर हुआ है लेकिन बात यदि विश्वसनीयता की हो तो जनमत प्रिंट मीडिया के पक्ष में है.
पत्रकारिता के मूल्यों और बाजारवाद पर पू्छे गये एक सवाल में कहा कि बाजार हमेशा से मौजूद रहा है. बाजार की मौजूदगी से ही उद्ममिता का विकास हुआ है. पत्रकारिता का बाजारू हो जाना, शिक्षा का बाजारू हो जाना गलत है. किसी चीज का व्यावसायिकरण गलत है. इसलिए बाजार को दोष नहीं देना चाहिए. उस मानसिकता को दोष देना होगा जो जल्दी और अधिक कमाई करना चाहते हैं. नये पत्रकारों को सलाह देते हुए कहा कि पत्रकारिता के विद्यार्थियों के सामने संकट है. भाषा को मजबूत करने की जरूरत है. सपाट ज्ञान से कुछ नहीं होता. विचारों को नये तरीके से व्यक्त करने की कला आनी चाहिए.