वीर सांघवी और मोडेरेटर मंदिरा नायर के बातचीत पर दी अपनी प्रतिक्रिया
दैनिक भास्कर राजस्थान के स्टेट एडिटर ने जयपुर लिट्रेचर फेस्ट के दौरान अपने एक अनुभव को सोशल मीडिया पर शेयर किया है. उन्होंने अपने इस अनुभव को ट्वीटर पर भी शेयर किया है. यह अनुभव जयपुर में लिट्रेचर फेस्टिवल के दौरान वीर सांघवी की एक बातचीत की है. वीर सांघवी ने जब अपनी बातें कहीं तो लोगों के बीच के से कई सवाल आने लगे थे.
मुकेश माथुर ने अपने फेसबुक वॉल पर लिखा है कि जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के इस संस्करण के आखिरी दिन उन्होंने देखा कि वीर सांघवी पूरी लय में थे. वह एक ही बात अलग—अलग तरह से कह रहे थे जिसका सिर्फ एक ही अर्थ निकल रहा था कि आज की सरकार ने पत्रकारिता को खत्म कर दिया है. यह सरकार पत्रकारों से नफरत करती हैं.
मुकेश माथुर ने लिखा है कि वीर सांघवी यहीं तक नहीं रुके. उन्होंने कहा कि मनमोहन सरकार को पत्रकारों ने खत्म किया. इसके पीछे वह यह तर्क देते नजर आये कि उस समय के पत्रकारों ने मनमोहन सिंह के खिलाफ ऐसे भ्रष्टाचार की बड़ी—बड़ी कहानियां बनायी जो कभी हुआ ही नहीं.
इस बातचीत के दौरान वहां मौजूद मॉडेरेटर मंदिरा नायर ने इससे संंबंधित कोई ऐसे सवाल नहीं किये जिससे इसकी पुष्टि होती हो. ना ही वीर साघंवी से कोई क्रॉस क्वेश्चन किया गया. पूरी बातचीत का धड़ा वीर साघंवी की तरफ था और ऐसा लगता था कि मॉडेरेटर उनकी बातों से पूरी तरह सहमत रहीं थी या उन्हें ऐसा लग रहा था कि वीर सांघवी जो कह रहे हैं वहीं सच है.
इस बातचीत के बाद जब क्वेश्चन एंसर का सेशन हुआ तो माइक जनता के पास गया. एक श्रोता ने उनसे यह पूछा कि जब इस सरकार के निष्ठावान पत्रकार इसकी गाथा गाते हैं तो उस दौर कीनिष्ठा भी उस समय नजर आती थी. जबकि एक एनआरआई महिला ने कहा कि इन दिनों हम दुनिया में सिर उंचा करके जी रहे हैं तो वीर सांघवी ने पूछा कि दुनिया में कहा तो इसके जवाब में उस महिला ने यूके और यूएस का नाम लिया. महिला ने कहा कि उसने हर जगह देखी.वीर सांघवी ने सवाल किया कि क्या यह पहले नहीं था तो महिला का जवाब था कि इतना नहीं था. वीर बस यह कह पाये कि ठीक है. ऐसा है तो अच्छा है. मैं खुश हू.