पीआईबी द्वारा कई बार फेक न्यूज़ और भ्रामक खबरें फैलाये जाने की कही बात
सोशल मीडिया पर प्रसारित की जाने वाली खबरों की सत्यता को समझने की जरूरत है. कई बार सोशल मीडिया के जरिये लोगों तक पहुंचने वाली खबरें फर्जी होती हैं जिससे लोग भ्रमित होते हैं. केंद्र सरकार की प्रेस सूचना ब्यूरो पीआईबी ने फैक्ट चेक सोशल मीडिया पर प्रसारित होने वाली खबरों की सत्यता की जांच करता है.
सरकार ने फर्जी खबरों को रोकने के लिए नये गाइडलाइन जारी किये है. इस गाइड में कहा गया है कि पीआईबी द्वारा किसी खबर की सत्यता नहीं होने पर उसे हटाना होगा. इंटरमीडियरी गाइडलाइंस एंड डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड रूल्स 2021 में नये बदलाव कर अब यह निर्धारित किया जायेगा कि किसी भी खबर का फैक्ट चेक पीआइबी करेगी. पीआबी यदि इसे फेक बताती हैं तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाना होगा. अब मीडिया द्वारा फेक न्यूज को लेकर सरकार के रूख को परखने की जरूरत समझी जा रही है.
इस निर्णय पर द शुद्र और द न्यूजबीक के एडिटर सुमित चौहान ने ट्वीट किया है जिसमें कहा है कि फेक न्यूज़ की परिभाषा स्पष्ट नहीं है। सरकार किसी खबर को किस आधार पर फेक न्यूज़ या भ्रामक मानेगी, उसका कोई पैमाना तय नहीं है। ये आशंका है कि सरकार सरकारी कामों की आलोचना करने वाली या सरकार पर सवाल उठाने वाली रिपोर्ट्स को भी फेक न्यूज़ कहकर बंद करने का आदेश दे सकती है.
ट्वीट कर कहा गया है कि पीआइबी को फैक्ट चेक का जिम्मा है लेकिन खुद ही पीआईबी ने कई बार फेक न्यूज़ और भ्रामक खबरें फैलाई हैं। कई बार सही खबरों को भी पीआईबी फेक न्यूज़ कह देती है, ऐसे में स्वतंत्र पत्रकारों की चिंताएं बेवजह नहीं हैं।