पत्रकारिता जगत में इसकी हो रही निंदा
झारखंड के हजारीबाग जिला से एक वीडियो लोगों की तव्वोजह खींच रहा है. वायरल हो रहे इस वीडियो में एक महिला है जिसके सामने टीवी और यूट्यूब चैनल के माइक लगे हैं. इस वीडियो में एक पत्रकार महिला को अपनी बात कहने के लिए कहता है और उसे यह भी समझाता है कि उसे अपनी बात में क्या कहना है.
लोगों का कहना है पत्रकार द्वारा ऐसी बात समझा कर और बाइट लेकर एक निजी कंपनी के खिलाफ एक प्रोपगंडा क्रिएट करने की कोशिश है. अंत में पत्रकार द्वारा महिला से उसका नाम बताने के लिए कहा जाता है जिससे वह साफ इंकार कर देती है. सवाल करने वाले पत्रकार के बारे में जानकारी नहीं मिल पायी है.
इस वीडियो की काफी आलोचना की जा रही है. पत्रकार के इस हरकत की निंदा अखबारों व टीवी के सीनियर जर्नलिस्ट ने भी किया है. आलोचना का कारण पत्रकार द्वारा अपना पसंद के हिसाब से बाइट लेना है.
वीडियो हजारीबाग जिला के बड़कागांव का बताया जा रहा है. इस वीडियो में दूसरे ग्रामीण बैनर के साथ मौजूद दिख रहे हैं जिसपर अडानी कंपनी वापस जाओ, ग्रामसभा रद्द करो, जल जंगल जमीन हमारा, विकास के नाम पर विस्थापन करना बंद करो जैसे नारे लिखे हैं.
अब सवाल उठता है कि क्या आंदोलन करने वाली महिला को इस तरह बाइट लेने के लिए तैयार करना सही है. क्या यह आंदोलन को उकसाने का काम किया जा रहा है. ग्रामीण यदि आंदोलन कर रहे हैं और महिला बोलने में सक्षम नहीं है तो इस प्रकार का प्रशिक्षण देना क्या पत्रकार की जिम्मेदारी है.