Homeमीडिया मसालासुशांत को किसने और क्यों कहा पत्रकारों का कपिल मिश्रा?

सुशांत को किसने और क्यों कहा पत्रकारों का कपिल मिश्रा?

वीडियो में कहा पटाखे जलाने से पहले पढ़े इसका इतिहास

सुशांत सिन्हा इन दिनों चर्चा में है. वह टाइम्स नाउ नवभारत पर अपना कार्यक्रम पेश करते हैं. उनकी खोजी पत्रकारिता से लोगों की हंसी छूट रही है. उन्होंने अपनी न्यूज की पाठशाला कार्यक्रम में लोगों को पटाखों पर एक चैप्टर पढ़ाया है. लोग उनकी मौज ले रहे हैं और उनके इस वीडियो को शेयर कर रहे हैं. दरअसल इस वीडियो से पता चलता है कि सुशांत सिन्हा मुगल शासकों से बायस्ड नजर आ रहे हैं और अपने मनमुताबिक कार्यक्रम के विषयवस्तु को दर्शकों तक ले जाने की कोशिश कर रहे हैं. इसे लेकर उन्हें पत्रकारिता का ​कपिल मिश्रा भी कहा जा रहा है. माना जा रहा है कि सुशांत पटाखों पर भी एक प्रोपगंडा क्रिएट कर रहे हैं. ऐसा लगता है पटाखों का इतिहास पढ़ाकर उनकी मंशा हिंदु मुसलिम में दूरी बनाने की हैं.

प्रोग्रामर और रिसर्चर तथा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंट के जानकार अजेंद्र शर्मा त्रिपाठी की एक ट्वीट किया है. इसमें उन्होंने सुशांत सिन्हा को पत्रकारिता का कपिल मिश्रा बताया है. इसे कई बार रिट्वीट किया गया है. उन्होंने अपने इस ट्वीट में सुशांत सिन्हा के पटाखों पर कई दूसरे ट्वीट के स्क्रीनशॉट भी शेयर किये हैं.

दरअसर सुशांत सिन्हा ने एक ट्वीट में लिखा है.. “मुगलों से शुरू, मुगलों पर खत्म” वाला इतिहास जो पढ़ाया गया है उसमें पटाखों का जिक्र स्कंद पुराण तक में मिलता है ये नहीं बताया गया। देखिए पटाखों का असल इतिहास।

इस पोस्ट के साथ एक वीडियो भी अपलोड किया है. इस वीडियो में पटाखोंं का इतिहास पढ़ाया है. उनका कहना है कि बाबर द्वारा भारत में बारूद लाये जाने की बात गलत है. बारूद पहले से ही भारत में मौजूद था और स्कंदपुराण में इसकी चर्चा है. वह एक संस्कृत श्लोक की व्याख्या कर उल्का हस्त शब्द की चर्चा करते हैं और कहते हैं कि उल्का मतलब आग और हस्त मतलब हाथ. यानि उल्काहस्त का मतलब हाथ में तेज रोशनी की बात कही गयी है. इसको समझाने के लिए उन्होंने फुलझड़ी का उदाहरण दिया है. कहा कि पौराणिक काल में किसी फुलझड़ी जैसी चीज की चर्चा हो चुकी है. इसका मतलब यह है कि पटाखे जैसी चीजें पूर्व से ही मौजूद रही हैं. इस बात को कई इतिहासकारों ने स्वीकार किया है.

इसके अलावा त्रेता और द्वापर युग में आग बरसाने वाले शस्त्र की बात कही है. उनका कहना है कि लोग इसे कोरी कल्पना मानते हैं लेकिन यही सच्चाई है. सुशांत सिन्हा ने फायर आर्मस इन एशियंट इंडिया किताब की चर्चा कर कहा है कि अरब के लोगों ने भारत से बारूद बनाने का फॉर्मूला सीखा था. अब लोगों को बताया जाता है कि बाबर बारूद लेकर आया था. जबकि भारत में ज्वलनशील पदार्थ नेफ्था पाया जाता था. इसका इस्तेमाल तीरों में किया जाता था. उनका दावा है कि अग्निपुराण में रॉकेट जैसे शब्द मिलते हैं.

उनका कहना है कि हमारा इतिहास ही लोगों को नहीं बताया जाता है. अपने इतिहास को पढ़ाया नहीं जाता और उसमें गौरव महसूस नहीं किया जाता है. मुगलों ने कुछ कर दिया है तो उसकी चर्चा करो.​ फिर उसे झमाझम सबको पढ़ना चाहिए. वीडियो देखने पर लगता है कि उनकी शिकायत मुगलों से है. पटाखों का चैप्टर बता कर भारत के गौरवशाली इतिहास को याद रखने की हिदायत भी दे रहे हैं.

हालांकि पटाखों को लेकर किये गये कई ट्वीट में वे अपनी ही बातों पर विरोधाभास जता रहे हैं. ऐसे में लोग उनकी बौद्धिक क्षमता का मजाक भी उड़ा रहे हैं.

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