भारत सरकार डॉक्यूमेंट्री को ब्लॉक करने की जगह रख सकती थी अपना पक्ष
बीबीसी द्वारा नरेंद्र मोदी पर बनाये गये द मोदी क्वेश्चन नामक डॉक्यूमेंट्री को यूट्यूब से हटा दिया गया है. इस डॉक्यूमेंट्री की भारत सरकार द्वारा आलोचना करते हुए कहा गया कि प्रधानमंत्री के खिलाफ एक प्रोपगंडा खड़ा करने की कोशिश है. ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने भी माना कि ये प्रधानमंत्री की छवि खराब करने जैसा है.
बीबीसी की द मोदी क्वेश्चन को लेकर एनडीटीवी के पूर्व पत्रकार रवीश कुमार ने भी अपनी राय प्रकट की है. उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को बैन किया गया है. यूट्यूब पर इसे ब्लॉक किया गया है. रवीश का कहना है कि ब्लॉक करने की जगह सरकार को इस डॉक्यूमेंट्री के भीतर और बाहर अपना पक्ष रख सकती थी.
रवीश ने बताया है कि डॉक्यूमेंट्री की शुरुआत में ही इस बात को लिखा गया है कि आधिकारिक प्रतिक्रिया के लिए संपर्क करने के बावजूद कोई जवाब नहीं आया. इसे लेकर उन्होंने सवाल किया है कि आखिर ऐसी क्या बात थी कि सरकार ने डॉक्यूमेंट्री के विषय पर अपना पक्ष क्यों नहीं रखा?
रवीश कुमार ने बताया है कि इस डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग ब्रिटेन में हो चुकी है. इस डॉक्यूमेंट्री को भारतीय दर्शकों के लिए ब्लॉक करने के क्या कारण है या क्या तर्क हो सकते हैं. यदि भारत सरकार के लिए यह प्रोपगंडा था तो वह लंदन में मीडिया नियामक संस्था से इसकी शिकायत कर सकता थी.
भारत जैसे देश में मीडिया की आजादी की मिसाल के रूप में बीबीसी जैसे संस्थानों का नाम लिया जाता है.
हालांकि इस डॉक्यूमेंट्री में बीजेपी के नेता और सांसद रहे स्वपन दासगुप्ता का एक लंबा इंटरव्यू है. इस डॉक्यूमेंट्री में बीजेपी के स्वदेश दीपक का बयान भी शामिल किया गया है. तो फिर इस डॉक्यूमेट्री के स्क्रीनिंग और प्रसारण में सरकार को किस प्रकार का डर महसूस हो रहा है.
रवीश कुमार ने यह कहा है कि जब बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर रोक लग सकता है तो भारत में गोदी मीडिया में कितनी ही खबरें नाले में बहा दी जाती होंगी. आमलोगों तक तो कुछ पहुंचता नहीं होगा.