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सीरीज 6: पिता के शब्दों ने भरे ज़ख्म, मीडिया जगत का सितारा बना यह पत्रकार

अपने कार्यक्रम में किये कई बड़ी हस्तियों के इंटरव्यू, खुद का बनाया टीवी चैनल

यह कहानी है एक छोटे बच्चे की जिसे टीवी देखने का बड़ा शौक था. साठ के दशक की बात है. उस समय टीवी के उद्भव का समय था. टीवी सेट कुछ ही घरों में हुआ करते थे. एक छोटा बच्चा जो टीवी का काफी शौकीन था लेकिन उसके घर टीवी सेट नहीं था.

वह अपने पड़ोसी के यहां जाता और अपना मनपसंद कार्यक्रम देखता. मनोज कुमार उसके पंसदीदी अभिनेता थे. उनकी फिल्म शहीद देखने वह बच्चा अपने पड़ोसी के घर जाता है. लेकिन पड़ोसी उसे अपने यहां नहीं आने देते. बच्चा उदास हो जाता है.

वह घर लौटता है. उसके आंखों में आंसू हैं. उसके पिताजी उससे इसका कारण पूछते हैं. वह बच्चा बताता है कि पड़ोस में वह फिल्म देखने गया था लेकिन पड़ोसी ने उन्हें घर में जाने नहीं दिया. पिताजी ने उसे समझाया कि किसी दूसरे को देखने तीसरे के घर जाना सही नहीं है.

उस बच्चे से कहा..तमु कुछ ऐसा कर दिखाओ कि तुम्हें टीवी देखने की जरूरत नहीं हो, बल्कि टीवी पर लोग तुम्हें देखें. पिता के ये शब्द बच्चे के दिल में समां गये. यह बच्चा आगे चलकर एक नामी पत्रकार, एंकर और मीडिया जगत का बड़ा नाम बना. यह कहानी है टीवी पत्रकार रजत शर्मा की.

हिंदी पत्रकारिता में रजत शर्मा एक जाना माना नाम है. वह मशहूर टीवी एंकर है और इंडिया टीवी के एडिटर—इन—चीफ तथा चेयरमैन भी है. वे इंडिया टीवी पर आने वाले कार्यक्रम आप की अदालत से मशहूर हैं.

रजत शर्मा के बारे में कहा जाता है कि हिंदुस्तान की पत्रकारिता में उनका अंदाज अलग है और इस वजह से उनकी पहचान भी सबसे जुदा है. टीवी जर्नलिज्म में कदम रखने से पहले कई वर्षों तक प्रिंट मीडिया के लिए काम किया. संडे आब्जर्वर, द डेली और कई अखबारों में संपादक रहे. इसके साथ ही द न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष भी रहे.

रजत शर्मा का जन्म दिल्ली में हुआ. जिंदगी के शुरूआती दिन अभाव में गुजरे. अपनी स्कूली पढ़ाई दिल्ली के सनातन धर्म और करोल बाग के रामजस स्कूल से की. दिल्ली विश्वविद्यालय के श्रीराम कॉलेज ऑफ़ कॉमर्स से ग्रेजुएशन किया. वे भारत के वित्त मंत्री रहे अरुण जेटली के जूनियर रहे हैं.

रजत शर्मा ने पत्रकारिता करियर की शुरूआत 1982 में की. इस समय पाक्षिक पत्रिका ऑनलुकर में ट्रेनी रिपोर्टर रहे. इसके बाद दो सालों में वे इस पत्रिका के बने और फिर 1985 में संपादक की जिम्मेदारी संभाली. इसके बाद संडे आब्जर्वर और द डेली के संपादक भी बनें.

धीरे—धीरे रजत शर्मा ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरफ रूख किया और जी न्यूज से जुड़ गये. यहां उन्होंने 1993 में आप की अदालत नामक कार्यक्रम को होस्ट किया. आप की अदालत में सबसे पहले लालू प्रसाद का इंटरव्यू लिया.

इसके बाद से रजत शर्मा ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. भारत के इतिहास में सबसे लंबे समय तक चलने वाला शो माना जाता है. इस कार्यक्रम की कल्पना रजत शर्मा ने की थी जिसमें डॉ सुभाष चंद्रा का काफी सहयोग मिला था.

इस कार्यक्रम के बारे में कहा जाता है कि रजत और सुभाष हवाई जहाज से कहीं यात्रा पर थे. इस दरम्यान कार्यक्रमों को लेकर चर्चा हो रही थी. इसी बीच हुई बातचीत से अनायास शो का कांसेप्ट तैयार होने लगा था. हवाई यात्रा जैसे ही समाप्त हुई इस कांसेप्ट को फाइनल कर लिया गया. इस कार्यक्रम ने टेलीविजन के इतिहास में एक इबारत लिख डाली.

साल 1997 में रजत ने इंडिया न्यूज लॉन्च किया था. इस इंटरव्यू में अब तक लगभग एक हजार से अधिक जानी मानी हस्तियों का इंटरव्यू किया जा चुका है. अपने इस कार्यक्रम के लिए वे यासीन मलिक का भी इंटरव्यू कर चुके हैं.

इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और खेल जगत के कई चेहरे इस कार्यक्रम में शामिल हो चुके हैं. आप की अदालत में रजत शर्मा के चुभते सवालों से सभी को सामना करना पड़ा है.

पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए रजत शर्मा को पद्मभूषण सम्मान से नवाजा गया है. वहीं इंडियन टेलीविजन एकेडमी का लाइफटाइम एचिवमेंट अवार्ड भी दिया गया है.

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