13 साल की उम्र में घर छोड़ा, पति ने पढ़ाई का लिया जिम्मा और बनी एंकर
यूं तो ट्रांसजेंडरों को कमतर समझा जाता है और अक्सर वे तिरस्कार की शिकार होते हैं, पर ऐसा नहीं है कि उनमें क्षमताओं की कमी है. बस एक बार उन्हें अवसर मिलने का इंतजार होता है और वे अपनी जिंदगी की जंग जीत सकते हैं.
ऐसा ही एक मामला है भारत के तमिलनाडु की जहां एक रुढ़िवादी परिवार को अपने घर में एक ट्रांसजेंडर होना एक दंश जैसा लगा. लेकिन उस ट्रांसजेंडर ने अपने बलबूते कुछ इस तरह कामयाबी पायी कि दुनिया देखती रह गयी.
इस महिला ट्रांसजेंडर को जब अपनों का साथ मिला तो कुछ ऐसी तस्वीर बदली कि उनका नाम देश और दुनिया की जुबां पर छा गयी. हम बात कर रहें हैं भारत की पहली ट्रांसजेंडर टीवी एंकर पद्मिनी प्रकाश की.
भारत की पहली ट्रांसजेंडर टीवी एंकर पद्मिनी प्रकाश हैं. उनका जन्म एक तमिल परिवार में हुआ था. कोयम्बटूर के इस परिवार को जब पता चला कि वह एक ट्रांसजेंडर हैं तो परिवार वालों ने इस सच को स्वीकार नहीं किया.
पद्मिनी ने 13 साल की उम्र में अपना घर छोड़ दिया. उनकी जिंदगी में कुछ ऐसे लोग आये जिनकी वजह से वह पढ़—लिख सकीं. उन्होंने कॉमर्स में बैचलर डिग्री में दाखिला लिया लेकिन बाद में लोगों द्वारा जेंडर को लेकर की जाने वाली टिप्पणी के कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी.
इस बीच एक युवक ने उनसे शादी की. उनके पति नागराज प्रकाश ने आगे की पढ़ाई जारी रखने का हौसला दिया. इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. इस बीच वह एक तमिल न्यूज चैनल लोट्स न्यूज में टीवी एंकर बनी. उनका पहला न्यूज बुलेटिन 15 अगस्त 2014 को प्रसारित हुआ. वैसे वे एक भरतनट्यम नृत्यगंना भी हैं.
लोट्स टीवी के मुताबिक प्रोग्राम एक्जक्यूटिव संगीथ कुमार और श्रवण रामकुमार का यह आइडिया था कि खबर पढ़ने के लिए एक ट्रांसजेंडर को नियुक्त किया जाये. काम से घर लौटते समय उन्होंने देखा कि कुछ ट्रांसजेंडर लोगों के साथ काफी बदसलूकी की जा रही है.
उन्हें यह महसूस हुआ कि समाज के इस नजरिए को बदलने की जरूरत है. उन्हें समाज में सम्मान दिलाने की आवश्यकता है. इसके बाद उन्होंने अपने प्रबंधन से बात किया और चेयनमैन जीके सेलवा कुमार ने इस आइडिया पर मुहर लगा दी.