टेस्ट क्रिकेटर के इस पुत्र ने चुना अपने लिए पत्रकारिता का करियर
राजदीप सरदेसाई मीडिया जगत का एक प्रमुख चेहरा है. राजदीप फिलहाल आजतक न्यूज चैनल से जुड़े हैं. इससे पहले उन्होंने कई मीडिया हाउस के साथ काम किया है.
एक टीवी न्यूज प्रेजेंटर और पत्रकार के साथ साथ वे लेखक भी हैं. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं जिसमें 2019: हाउ मोदी वोन इंडिया काफी चर्चित रहा और इसे नेशनल बेस्ट सेलर का खिताब भी मिला है. इसके अलावा 2014: द इलेक्शन दैट चेंज्ड इंडिया का कई भाषाओं में ट्रांसलेशन किया जा चुका है.
वे इंडिया टुडे ग्रुप में कंसल्टिंग एडिटर और लीड न्यूज एंकर हैं. प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक का तीन दशक से अधिक वक्त से काम कर रहे हैं. आइबीएन नेटवर्क के फाउंडर एडिटर और एनडीटीवी ग्रुप के मैनेजिंग एडिटर रहे. द टाइम्स ऑफ इंडिया के लिए काम किया.
उन्होंने अपने पत्रकारिता करियर में राष्ट्रीय—अंतर्राष्ट्रीय स्टोरीज़ कवर किये. उनकी पत्रकारिता की धुरी राजनीति रही है. उन्हें पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए 50 से अधिक प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है. राजदीप पद्मश्री, इंटरनेशनल ब्रॉडकास्टर्स अवॉर्ड, रामनाथ गोयनका अवार्ड सहित प्रेम भाटिया अवार्ड फॉर पॉलिटिकल जर्नलिज्म से नवाजे जा चुके हैं.
राजदीप को काफी संख्या में लोग ट्वीटर पर फॉलो करते हैं. सेंट जेवियर्स कॉलेज से स्नातक राजदीप ने बाद में पोस्टग्रेजुएशन किया और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी कानून की पढ़ाई भी की. कानून की पढ़ाई करने के बाद जब राजदीप मुंबई लौटे तो उन्होंने वकालत करना आरंभ किया. इस दौरान टाइम्स आॅफ इंडिया के लिए कॉलम भी लिखे. इसके बाद वे इस मीडिया संस्थान के लिए काम करने लगे.
अपने कवरेज में वे गुजरात दंगों की कवरेज के अलावा 1993 में मुंबई में बम विस्फोटों की कवरेज को यादगार मानते हैं. उनकी मुलाकात 1986 में सागरिका से हुई. इसके बाद के दिनों में उन्होंने सागरिका से शादी की.
वैसे तो राजदीप सरदेसाई के जिदंगी के कई किस्से मशहूर हैं लेकिन इनमें से एक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी जुड़ा किस्सा है. चूंकि राजदीप का ननिहाल गुजरात में है इस वजह से प्रधानमंत्री से उनकी नजदीकी को मीडिया जगत में विशेष अंदाज में देखा सुना जाता है.
कई वर्षों तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वरिष्ठ पत्रकार सरदेसाई के काफी अच्छे ताल्लुकात रहे थे. यह बात राजदीप स्वंय भी मानते हैं. एक दौर ऐसा भी था कि दोनों महीने में एक या दो बार आंध्र भवन में खाना खाया करता थे. लेकिन बाद के समय में रिश्तों में खटास आती चली गयी.
राजदीप ने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि वे प्रधानमंत्री को 1990 से जानते हैं लेकिन 2002 के दंगों के बाद दूरी होती चली गयी. प्रधानमंत्री बनने के बाद वे इतनी उंचाई पर पहुंचे कि वह एक अदना सा पत्रकार दिखने लगे.
राजदीप ने पत्रकारिता में अपने करियर की शुरूआत 1988 में शुरू किया. राजदीप सरदेसाई के अनुसार टेलीविजन में उनका आना एक संयोग था. दिल्ली में प्रणव रॉय से मुलाकात हुई और यहां काम करना शुरू कर दिया.
राजदीप को किशोर कुमार के गाने सुनना पसंद है. वे पुरानी फिल्में देखना पसंद करते हैं.
राजदीप सरदेसाई भारत के दिवंगत टेस्ट क्रिकेटर दिलीप सरदेसाई के पुत्र हैं. राजदीप की मां जेवियर कॉलेज में प्रोफेसर थी.
उन्होंने ऑक्सफ़ोर्ड विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते हुए पाकिस्तान के ख़िलाफ़ कंबाइंड यूनीवर्सिटी के लिए क्रिकेट खेला. लेकिन इस खेल के बाद उन्हें यह आभास हो गया था कि वे क्रिकेट खेलने के लिए नहीं बनें हैं.
राजदीप का पहला क्रश फिल्म अभिनेत्री जीनत अमान रहीं. यादों की बारात फिल्म आने के बाद राजदीप जीनत अमान के बड़े फैन हो गये. हीरों में अमिताभ बच्चन उनके करीब रहे हैं.