तेजतर्रार पत्रकार ने पाकिस्तान की पीएम बेनजीर भुट्टों के साथ बितायें थे कॉलेज के दिन भी
बात आज से लगभग 15 साल पुरानी है. साल था 2007. तत्कालीन गुजरात के मुख्यमंत्री एक मीडिया हाउस को इंटरव्यू देने की तैयारी में थे. इंटरव्यू के लिए तैयार किया कमरा काफी सुसज्जित था. कमरे में मध्यम रोशनी के बीच नरेंद्र मोदी इंटरव्यू करने के लिए पत्रकार के साथ बैठे. लेकिन नरेंद्र मोदी पत्रकार के साथ सहज महसूस नहीं कर पा रहे थे. चेहरे पर तनाव था.
इंटरव्यू के दौरान पत्रकार के सवालों को लेकर नरेंद्र मोदी उत्तर नहीं दे पा रहे थे. इस दौरान उन्होंने पीने के लिए पानी मांगा और अपने कोट में लगे माइक को उतारते हुए पत्रकार से कहा..अपनी दोस्ती बनी रहे. साथ ही कैमरे को बंद करने का आदेश भी दिया..
महज तीन मिनट 22 सेकेंड का यह इंटरव्यू काफी चर्चित हुआ. इस इंटरव्यू ने ना सिर्फ देशी मीडिया का बल्कि विदेशी मीडिया का भी ध्यान आकृष्ट किया. इस इंटरव्यू को लेकर चर्चा में आये पत्रकार की लोगों ने कही आलोचना की तो उनके द्वारा दमदार सवाल किये जाने पर प्रशंसा भी मिला. ये तेजतर्रार पत्रकार थे करण थापर. करण थापर को अपने आक्रमण सवालों के लिए जाना जाता है. उनके एक इंटरव्यू से पता चलता है कि भारत के कई ऐसे राजनीतिज्ञों से उन्होंने ऐसे सवाल किये जिसके कारण वे विवादों में रहे और कई—कई समय तो राजनीतिज्ञ उनसे नाराज रहते. इनमें एक पी चिंदमबरम भी हैं जिन्होंने दो सालों तक उनसे बात नहीं की.
करण थापर मशहूर पत्रकार और इंटरव्यूवर हैं. वे मीडिया जगत की जानी—मानी हस्ती हैं और फिलहार द वायर के साथ काम कर रहे हैं. उनकी उम्र लगभग 63 वर्ष हो चुकी है. पांच नवंबर 1955 को जम्मू—कश्मीर के श्रीनगर में जन्में करण थापर के पिता पिता प्राण नाथ थापर भारतीय सेना में उच्च अधिकारी थे. करण थापर की मां का नाम विमला थापर था. वे मूल रूप से पंजाब के लुधियान के रहने वाले थे. करण थापर की शादी निशा थापर से 1982 में हुई थी. लेकिन शादी के नौ साल बाद 1991 में निशा थापर का देहांत हो गया. वह उस समय 33 वर्ष की थी. उनकी मौत एंसेफलाइटिस नामक बीमारी के कारण हुई. इसके बाद करण थापर ने दूसरी शादी नहीं की.
करण थापर ने अपनी प्राथमिक शिक्षा दून स्कूल से की. बाद में वे इंगलैंड गये और कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई पूरी की. उन्होंने अर्थशास्त्र और पॉलिटिकल फिलॉस्फी में बैचलर किया और इसके बाद अंतरराष्ट्रीय संबंधों में डॉक्टरेट किया. व
माना जाये तो उनकी पत्रकारिता की शुरूआत स्कूल के दिनों से ही हो चुकी थी. अपने स्कूली जीवन में वहां से निकलने वाली पत्रिका द दून स्कूल वीकली के एडिटर—इन—चीफ रहे. लेकिन वस्तुत: उन्होंने पत्रकारिता के क्षेत्र में अपने करियर की शुरूआत युनाइटेड किंगडम से प्रकाशित होने वाली अंतरराष्ट्रीय पत्रिका द टाइम्स से प्रारंभ किया. उन्होंने नाइजीरिया के लागोस से रिपोर्टिंग का काम किया. द टाइम्स में 1981 तक काम किया इसके बाद उन्हें उस मैगजीन में द लीड राइटर पर पदोन्नति दी गयी. 1982 में उन्होंने टाइम्स छोड़ कर टीवी की दुनिया में कदम रखा. यूनाइटेड किंगडम में लंदन वीकऐंड टेलीविजन के साथ काम करना प्रारंभ किया. उन्होंने वहां दस सालों तक काम किया. साल 1991 में वह भारत वापस लौट आये. यहां हिंदुस्तान टाइम्स टेलीविजन ग्रुप में एक्जक्यूटिव प्रोड्यसर के तौर पर ज्वाइन किया. इस दौरान उनके कामों की काफी ख्याति होती चली गयी. उन्होंने पत्रकारिता के इन सालों में दूसरे कई बड़े चैनल जैसे बीबीसी, आइबीएन—सीएनएन, स्टार टीवी, इंडिया टुडे ग्रुप के लिए काम किया. अपनी पत्रकारिता के करियर में नरेंद्र मोदी, बराक ओबामा, अमिताभ बच्चन, जयललिता, एैश्वर्या राय और कई हस्तियों के इंटरव्यू किये.
करण थापर के कई शो काफी मशहूर हुए. नथिंग बट द ट्रूथ, टू द प्वांइट, हार्ड टॉक में जैसे किये. उन्होंने कई किताबें भी लिखें. उनकी किताब में द डेवील्स एडवोकेट सबसे अधिक बिकने वाली किताब मानी जाती है. एक पत्रकार के रूप में उनके कामों को राष्ट्रीय—अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी सराहा गया है. उन्हें बेस्ट करेंट अफेयर प्रिजेंटर अवार्ड, इंटरनेशनल प्रेस इंस्टीट्यूट इंडिया अवार्ड, रामनाथ गोयनका अवार्ड और द इंडियन न्यूज ब्रॉडकास्टिंग अवार्ड दिये जा चुके हैं.
करण थापर अपने पत्रकारिता जीवन में कई बार विवादों में आ चुके हैं. साल 2017 में इंडियन एक्सप्रेस में उनका लिखा एक कॉलम प्रकाशित किया गया था. इस आलेख में कुलभूषण जाधव के बारे में लिखा गया था. द मिस्टेरियस मिस्टर जाधव नामक इस आलेख मे कुलभूषण के भारतीय जासूस होने, पाकिस्तान तक पहुंचने और उसकी मौत की सजा के मामले पर संदेह प्रकट किया गया था. इसके साथ ही भारत की सुरक्षा नीतियों की आलोचना भी की गयी थी. इस आलेख के बाद करण थापर विवादों से घिर गये.
कहा जाता है कि करण थापर के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टों से काफी नजदीकी रही थी. करण थापर की कार पर लेटे एक तस्वीर भी है जिसमें बेनजीर भी दिख रही हैं. लंदन में कॉलेज के दिनों में करण थापर और बेनजीर भुट्टो साथ थे. करण थापर संजय गांधी के भी करीब रहे. प्रसिद्ध इतिहासकार रोमिला थापर उनकी कजिन है. राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय नेताओं और राजनीति, अर्थशास्त्र, सामाजिक विज्ञान के दिग्गजों के बीच वे काफी लोकप्रिय पत्रकार माने जाते हैं.